सोमवार, 26 जुलाई 2010

गजल

भेष हुनक भगवान सन
काज मुदा सैतान सन


बेटा बला के पंडित बूझू
बेटी बला जजमान सन


मँहगाइ बढ़ल छै तेना ने
सोहर लगैए समदाउन सन


तैआर नहि केओ राम बनबा लेल
मुदा सेवक तकैए हनुमान सन


देहे ने जिंदा छै भावना त मरि गेलै
सुआइत संसार लगैए श्मसान सन

1 टिप्पणी:

  1. अच्छी रचना. पद भार का ध्यान रखें पूरी राचन की हर पंक्ति एक समान पद भार या वजन या मात्रा की होना जरूरी है.

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों