शनिवार, 1 जनवरी 2011

गजल

गजल- 4- डॉ. नरेश कुमार ‘वि‍कल’


शेषांशपर रोदन करू वा गीत उदि‍त भानपर।

कि‍न्‍तु आफत अाबि‍ पहुँचल मान और सम्‍मानपर।

दीप जम्‍बूद्वीप केर नि‍त्त अकम्‍पि‍त भए जरए

यएह सोचब ि‍थक कठि‍न अनीति‍ केर दोकानपर।

भेल वृद्धि‍ ज्ञानमे, वि‍ज्ञानमे, संधानमे

जन्‍म दर केर बात की वृद्धि‍ उत्‍थानपर।

कि‍न्‍तु नैति‍कताक अवनति‍ आचरण, सम भावमे

देश हि‍त केर बात तँ चलि‍ गेल कोठीक कान्‍हपर।

देश गांधी, बुद्ध केर रहि‍ गेल ने सुभाष केर

देश ई नाचए सदति‍ घोटाला सबहक तानपर।

आब वि‍चरण कए रहल नरभक्षी दोसर वेशमे

छैक कनि‍को ने दया एे नेना केर मुसकानपर।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों