भूख छल प्रेमक भूखले रहि गेलहुँ
याह सोचिक हम टूटले रहि गेलहुँ
एक ओकर खातिर बनल सभ बैरी
सभसँ जिनगी भरि छूटले रहि गेलहुँ
पटकि देलक घैला जकाँ हिय एना
जाहि कारण हम फूटले रहि गेलहुँ
भरल प्रेमक कोठी, परल खाली छै
प्रेम बिन ओकर लूटले रहि गेलहुँ
कुन्दनक बखरा परल नीरस जिनगी
शोक संगे नित जूटले रहि गेलहुँ
२१२२ २२१२ २२२
© कुन्दन कुमार कर्ण
© www.facebook.com/kundan.karna
याह सोचिक हम टूटले रहि गेलहुँ
एक ओकर खातिर बनल सभ बैरी
सभसँ जिनगी भरि छूटले रहि गेलहुँ
पटकि देलक घैला जकाँ हिय एना
जाहि कारण हम फूटले रहि गेलहुँ
भरल प्रेमक कोठी, परल खाली छै
प्रेम बिन ओकर लूटले रहि गेलहुँ
कुन्दनक बखरा परल नीरस जिनगी
शोक संगे नित जूटले रहि गेलहुँ
२१२२ २२१२ २२२
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