देखलौं जखनसँ अहाँकेँ होस गेलौं बिसरि हम
आगि ख’र बिनु लेसने सौँसेसँ गेलौं पजरि हम
एकटा मुस्की अहाँकेँ प्राण लेलक लय हमर
खा क’ मोने मोन मुँगबा चट्ट गेलौं पसरि हम
अछि निसा चानक अहाँमे भ्रमित केने रातिमे
मुँह अहाँकेँ मोरिते बिनु पानि गेलौं पिछरि हम
स्वर्ग पेलौं बिनु अहाँ ओ स्वर्ग भेलै नर्क सन
छोरि छारि स्वर्गकेँ पाछूसँ गेलौं ससरि हम
खुजल आँखिक ‘मनु’क सपना प्रगट भेलौं जगतमे
देख निरमल नेह बिनु बरखाक गेलौं झहरि हम
(मात्रा क्रम- २१२२-२१२२-२१२२-२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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