हम हँसलौ तँ संसार ई हँ’सल
कानलपर हमर नै कियो क’नल
सिदहामे बझल आइ लोक सभ
आनक
नै सरोकार छै बचल
घुन खेने सगर घरक खामकेँ
ख’र बाती निकलि डोलिते चलल
खूनसँ ओरयानी सभक पटल
सुनतै आब के केकरो कहल
‘मनु’ मनभौक गुड़ चौर खा कए
किरदानी सभक देखते रहल
(मात्रा क्रम – २२२१-२२१-२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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