मंगलवार, 3 जून 2014

गजल



हाथमे वेद रहै
जीहमे छेद रहै

घेंटमे घेंट फँसल
मोनमे भेद रहै

ठोर बस हँसि रहल
मोन निर्वेद रहै

खून सभ चूसि रहत
से तँ उम्मेद रहै

साँप सभ एक समान
मात्र विष भेद रहै

सभ पाँतिमे 212+2112 मात्राक्रम अछि।
अंतिम शेरक पहिल पाँतिमे अंतमे अतिरिक्त लघु लेबाक छूट लेल गेल अछि


सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

1 टिप्पणी:

  1. बेनामी6/04/2014 8:25 pm

    Ego kono maithili geet k side batbu jay mein geet load bh jaye hm bar koshish kelou muda nye bhel s aanha sb s hmr aagrah ya j ego side batabu

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों