गुरुवार, 5 नवंबर 2015

गजल

हमर करेजक जान तिरंगा
भारत-भूमिक शान तिरंगा
शोषित लोकक आस बनल छै
आमजनक अरमान तिरंगा
नजरि उठेतै दुश्मन जखने
बनत हमर ई बाण तिरंगा
मोल मनुक्खक होइत की छै
गाबि कहै छै गान तिरंगा
राम-रहीमक बातसँ आगू
"ओम"क अछि सम्मान तिरंगा
मात्राक्रम दीर्घ-ह्रस्व-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ दू बेर प्रत्येक पाँतिमे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों