अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
सोमवार, 3 अप्रैल 2017
रुबाइ
आँखि केर सपना टूटल जाइए
हमरा लगसँ कियो रूसल जाइए
समय केर चाकपर बनैत मनोरथ
केकरो हाथसँ खसि फूटल जाइए
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