शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-8

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "आप आये बहार आई" फिल्म केर ई नज्म जे कि मो. रफीजी ओ लता मंगेशकरजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनन्द बक्षी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत प्यारेलाल। ई फिल्म 1971 मे रिलीज भेलै। एहिमे राजेंद्र कुमार, साधना आदि कलाकार छलथि।

दिल शाद था कि फूल खिलेंगे बहार में
मारा गया ग़रीब इसी इंतज़ार में

मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता

न था मंज़ूर क़िस्मत को न थी मर्ज़ी बहारों की
नहीं तो इस गुलिस्ताँ में कमी थी क्या नज़ारों की
मेरी नज़रों को भी कोई नज़ारा मिल गया होता

ख़ुशी से अपनी आँखों को मै अश्को से भिगो लेता
मेरे बदलें तू हँस लेती तेरे बदलें मैं रो लेता
मुझे ऐ काश तेरा दर्द सारा मिल गया होता

मिली है चाँदनी जिनको ये उनकी अपनी क़िस्मत है
मुझे अपने मुक़द्दर से फ़क़त इतनी शिकायत है
मुझे टूटा हुआ कोई सितारा मिल गया होता

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। बहुत काल शाइर गजल वा नज्मसँ पहिने माहौल बनेबाक लेल एकटा आन शेर दैत छै ओना ई अनिवार्य नै छै। एहि नज्मसँ पहिने एकटा शेर "दिल शाद था कि फूल खिलेंगे बहार में मारा गया ग़रीब इसी इंतज़ार में" (एहू शेरमे बहर छै) माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै।  एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।



मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-7

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "सूरज" फिल्म केर ई नज्म जे कि मो. रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसरत जयपुरी। संगीतकार छथि शंकर जयकिशन। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे राजेंद्र कुमार, वैजयन्तीमाला आदि कलाकार छलथि।


बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है

ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में
सितारों माँग भर जाओ मेरा महबूब आया है

नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर
ज़रा तुम दिल को बहलाओ मेरा महबूब आया है

सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ मेरा महबूब आया है

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। पहिल अंतरामे "मेंहँदी" शब्दमे मात्राक्रम गलत अछि हमरा हिसाबें मुदा उर्दूमे "शब्दक बीच बला "ह" केर उच्चारण पहिल शब्दमे मीलि क' ओकरा दीर्घ बना दैत छै जेना कि "लहरि" केर उच्चारण "लैर" सन आदि,  "मेंहँदी" केर उच्चारण तेहने भ' सकैए (पक्का पता नै) ओनाहुतो ई नज्म छै आ ताहूमे फिल्मक लेल लिखल गेल। शाइर एकरा गजल घोषित नै केने छथि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।


सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

गजल

खेत दहेलै हमर
पेट बिकेलै हमर

मोन द' गेलै तखन
मोन ल' गेलै हमर

साँच रहै आबि गेल
झूठ नुकेलै हमर

देह रहै ठक सदा
जान ठकेलै हमर

आँखि हुनक देखिते
आँखि जुड़ेलै हमर

सभ पाँतिमे 21-122-12 मात्राक्रम अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

गजल

अइ अइ उइ उइ इस इस इस
हमर गालपर हुनकर किस

बैसल रहलथि हमरे लग
तैयो केलहुँ हुनका मिस

इम्हर उम्हर जिम्हर जो
लेकिन एबौ तोरे दिस

हुनका अबिते गोठुल्लो
बुझा रहल लंदन पेरिस

ने धरती आ ने स्वर्गे
हमरा छै तोरे खाँहिस

सभ पाँतिमे 222 2222 मात्राक्रम अछि। दूटा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-6

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "तवायफ" फिल्म केर ई नज्म जे कि आशा भोंसले द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसन कमाल। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1985 मे रिलीज भेलै। एहिमे अशोक कुमार, ॠषि कपूर, रति अग्निहोत्री,पूनम ढ़िल्लन आदि कलाकार छलथि।

बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी
हुज़ुर आते-आते बहुत देर कर दी

मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी


मुहब्बत के दो बोल सुनने न पाए
वफ़ाओं के दो फूल चुनने न पाए
तुझे भी हमारी तमन्ना थी ज़ालिम
बताते-बताते बहुत देर कर दी

कोई पल में दम तोड़ देंगी मुरादें
बिखर जाएँगी मेरी ख़्वाबों की यादें
सदा सुनते-सुनते ख़बर लेते-लेते
पता पाते-पाते बहुत देर कर दी

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एहि नज्मक पहिल शेरक दोसर पाँतिमे आएल "हुजुर" शब्दक सही रूप "हुजूर" अछि मुदा बहर निर्वाह लेल "हुजुर" उच्चारण लेल गेल छै। ओनाहुतो ई नज्म छै। जाहिमे बहुत नीक जकाँ बहरक निर्वाह भेल छै। एहि नज्मक ई शेर बहुप्रयोगी अछि........

मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी

ई शेर जतबे सांसारिक प्रेम लेल छै ततबे राजनीतिक व्यंग्य सेहो छै। घरक कोनो सदस्यक उपराग सेहो ई शेर भ' सकैए। निच्चा देल भीडियोसँ ई नज्म सुनि सकैत छी।


शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

बाल गजल

पापा यौ चकलेट खेबै
कनिये नै भरिपेट खेबै

छुछ्छे कोना नीक लगतै
नमकिन बिस्कुट फेंट खेबै

हमहीं टा नै एसगर यौ
संगी सभके भेंट खेबै

मानब एके टासँ नै हम
पूरा दू प्याकेट खेबै

कुन्दन भैया आबि जेथिन
बांकी ओही डेट खेबै

222-221-22

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

गजल

ने अँगना जोगर ने दलान जोगर
ने जमीन जोगर ने लगान जोगर

गरीब लड़किए जकाँ गरीब लड़को
ने बियाह जोगर ने चुमान जोगर

एहन मुरती बनि गेलहुँ जीवनमे
ने पूजा जोगर ने भसान जोगर

तटस्थ केर जीवन बितलै एना क'
ने घिरना जोगर ने गुमान जोगर

हुनकर सिनेह अतबे भेटल हमरा
ने नवेद जोगर ने लवान जोगर

सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

बाल गजल

बौआ हमर छै बुधिआर
लोकक करै छै सत्कार

ज्ञानी जकाँ कनिये टासँ
माएसँ सिखलक संस्कार

संगी बना ओ पोथीक
मानै कलमके संसार

खाना समयपर खेलासँ
देखू बनल छै बौकार

हँसिते रहल सदिखन खूब
मुस्कान देलक उपहार

कुन्दनसँ खेलाइत काल
जितबाक केलक जोगार

बहरे - मुन्सरह

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों