शुक्रवार, 30 मार्च 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-13

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "खिलौना" फिल्म केर ई नज्म जे कि मुहम्मद रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत प्यारे लाल। ई फिल्म 1970 मे रिलीज भेलै। एहिमे संजीव कुमार, मुमताज, जितेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा आदि कलाकार छलथि। ई फिल्म गुलशन नंदाजीक उपन्यासपर आधारित अछि।

तेरी शादी पे दूँ तुझको तोह्फ़ा मैं क्या
पेश करता हूँ दिल एक टूटा हुआ

खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी
बेवफ़ा ही सही दिलरुबा है मेरी

जा मैं तनहा रहूँ तुझको महफ़िल मिले
डूबने दे मुझे तुझको साहिल मिले
आज मरज़ी यही, नाख़ुदा है मेरी

उम्र भर ये मेरे दिल को तड़पाएगा
दर्दे दिल अब मेरे साथ ही जाएगा
मौत ही आख़िरी बस दवा है मेरी

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 212 212 212 212 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। बहुत काल शाइर गजल वा नज्मसँ पहिने माहौल बनेबाक लेल एकटा आन शेर दैत छै ओना ई अनिवार्य नै छै। एहि नज्मसँ पहिने एकटा शेर "तेरी शादी पे दूँ तुझको तोहफ़ा मैं क्या" माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै। समान्यतः दीर्घक बाद बला "ए" केर उच्चारण लघु भ' जाइत छै आ मैथिलीमे सेहो एकर हम स्थितिनुसार लघु मानबाक सिफारिश केने छी।



मंगलवार, 27 मार्च 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-12

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "खिलौना" फिल्म केर ई नज्म जे कि लता मंगेशकरजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजा आनंद बख्शी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत प्यारे लाल। ई फिल्म 1970 मे रिलीज भेलै। एहिमे संजीव कुमार, मुमताज, जितेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा आदि कलाकार छलथि। ई फिल्म गुलशन नंदाजीक उपन्यासपर आधारित अछि।

अगर दिलबर की रुसवाई हमें मंजूर हो जाये
सनम तू बेवफ़ा के नाम से मशहूर हो जाये

हमें फ़ुर्सत नहीं मिलती कभी आँसू बहाने से
कई ग़म पास आ बैठे तेरे एक दूर जाने से
अगर तू पास आ जाये तो हर ग़म दूर हो जाये


वफ़ा का वास्ता देकर मुहब्बत आज रोती है
न ऐसे खेल इस दिल से ये नाज़ुक चीज़ होती है
ज़रा सी ठेस लग जाये तो शीशा चूर हो जाये

तेरे रंगीन होंठों को कमल कहने से डरते हैं
तेरी इस बेरुख़ी पे हम ग़ज़ल कहने से डरते हैं
कहीं ऐसा न हो तू और भी मग़रूर हो जाये

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। उर्दूमे दू दीर्घक बीच बला संयुक्ताक्षरकेँ एकटा लघु मानि लेबाक छूट सेहो छै मुदा ई मैथिली सहित आन आधुनिक भारतीय भाषामे नहि भेटत। एहि नज्मकेँ सुनलाक बाद सेहो बुझि सकबै जे "ए" केर उच्चारण "इ" मने "एक" केर उच्चारण "इक" जकाँ छै आ ई उर्दूक विशिष्टता छै।





सोमवार, 19 मार्च 2018

गजल

अइ संसारमे चुप जाबे रहलहुँ हम
कहियो फूल कहियो काँटे रहलहुँ हम

छै बेपार संबंधक अइ दुनियाँमे
कहियो लाभ कहियो घाटे रहलहुँ हम

पहिने स्वर्ग फेरो नरकक फेरामे
कहियो पुण्य कहियो पापे रहलहुँ हम

कहियो कंस कहियो धृतराष्ट्रो बनलहुँ
कहियो श्याम कहियो राधे रहलहुँ हम

जाबी लागि गेलै जकरा तकरा लेल
कहियो ठोर कहियो बाते रहलहुँ हम

सभ पाँतिमे 2221-222-222-2 मात्राक्रम अछि। अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर अछि।सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

गुरुवार, 15 मार्च 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-11

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "मदहोश" फिल्म केर ई नज्म जे कि तलत महमदूजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजा मेंहदी अली खान। संगीतकार छथि मदन मोहन। ई फिल्म 1951 मे रिलीज भेलै। एहिमे मनहर (देसाइ), मीना कुमारी आदि कलाकार छलथि।

मेरी याद में तुम न आँसू बहाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
समझना के था एक सपना सुहाना
वो गुज़रा ज़माना, मुझे भूल जाना

जुदा मेरी मँज़िल, जुदा तेरी राहें
मिलेंगी न अब तेरी-मेरी निगाहें
मुझे तेरी दुनिया से है दूर जाना

ये रो-रो के कहता है टूटा हुआ दिल
नहीं हूँ मैं तेरी मोहब्बत के काबिल
मेरा नाम तक अपने लब पे न लाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई बहर संस्कृतमे सेहो भुजंगप्रयात (मात्राक्रम 122+122+122+122) केर नामसँ छै। उर्दूमे एकरा “बहरे मोतकारिब मोसम्मन सालिम” कहल जाइत छै। एहि बहरपर बहुत नीक रचना अनेक भाषामे रचल गेल छै। प्रसंगवश एहिठाम हम गोस्वामी तुलसीदास जीक ई रचना (रुद्राष्टकम्) द' रहल छी.............

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् |
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेङहम् ||१||

एहि रुद्राष्टकम् केर छंद भुजंगप्रयात अछि। एकरा एना देखू.. नमामी 122 शमीशा 122 न निर्वा 122 णरूपं 122 आन पाँति सभकेँ एनाहिते देखि सकैत छी। हमरा द्वारा लिखल एहि सिरीजमे तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ, तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ, बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी सन नज्म एही बहरपर अछि।


(खाली गीत)


(फिल्मक सहित गीत)




सोमवार, 12 मार्च 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-10

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "शराबी" फिल्म केर ई नज्म जे कि किशोर कुमारजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि प्रकाश मेहारा। संगीतकार छथि बप्पी लाहिड़ी। ई फिल्म 1984 मे रिलीज भेलै। एहिमे अमिताभ बच्चन, जयाप्रदा आदि कलाकार छलथि।

मंज़िलों पे आ के लुटते, हैं दिलों के कारवाँ
कश्तियाँ साहिल पे अक्सर, डूबती है प्यार की

मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे, तो मुसाफिर क्या करे
यूं तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे

डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत
दिल बहल जाए फ़क़त इतना इशारा ही बहुत
इतने पर भी आसमां वाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतला दे ज़रा ये डूबता फिर क्या करे

प्यार करना जुर्म है तो, जुर्म हमसे हो गया
काबिले माफी हुआ, करते नहीं ऐसे गुनाह
तंगदिल है ये जहां और संगदिल मेरा सनम
क्या करे जोशे जुनूं और हौसला फिर क्या करे

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 2122 2122 2122 212 अछि। बहुत काल शाइर गजल वा नज्मसँ पहिने माहौल बनेबाक लेल एकटा आन शेर दैत छै ओना ई अनिवार्य नै छै। एहि नज्मसँ पहिने एकटा शेर "मंज़िलों पे आ के लुटते, हैं दिलों के कारवाँ" (एहू शेरमे इएह बहर छै) माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै।  एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। उर्दूमे "और" शब्दक मात्रा निर्धारण दू तरीकासँ कएल जाइत छै "और मने 21" आ "औ मने 2"। एहि नज्मक संगे आन नज्म लेल ई मोन राखू। जरूरी नै जे ई नियम मैथिली लेल सेहो सही हएत।अंतिम बंदक दोसर पाँतिक अंतिम शब्द अछि "गुनाह" जाहिमे एकटा लघु अतिरिक्त अछि। ई छूट उर्दू गजलक संग मैथिली गजलमे सेहो अछि।


मंगलवार, 6 मार्च 2018

गजल

क्षणभंगुर देहक आस कते
जाइत मधुमासक आस कते

हे हो रामा आफद एलै
बेसुध सरकारक आस कते

सीतारामक दास सहारा
ई दुनियाँ दासक आस कते

अकासक संगे डील भेलै
प्रायोजित मेघक आस कते

धोखा दै छै चिन्हारे सभ
अइ अनचिन्हारक आस कते

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सोमवार, 5 मार्च 2018

गजल

अस्तित्वमे अस्तित्व समा जेतै एक दिन
अपनाक अपने संग मिला जेतै एक दिन

बिनु शब्द आ संगीत मिलनके बेर प्रकृति
शुन्ना समयमे गीत सुना जेतै एक दिन

नै हम रहब नै देह रहत रहतै बोध टा
दुख दर्द सब जिनगीक परा जेतै एक दिन

मस्तिष्कके सुख दुखसँ उपर लेबै जे उठा
आनन्दमे र्इ मोन डुबा जेतै एक दिन

बहिते हृदयमे जोरसँ कुन्दन नेहक हवा
चैतन्य केर ज्ञात करा जेतै एक दिन

2212-221-1222-212

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

गजल

बजलहुँ हम सरदारे देखि कऽ
लिखलहुँ हम सरकारे देखि कऽ

जनते तँ बनै छै नेता ने

ई बुझलहुँ हम नारे देखि कऽ

बूझल अछि सभ फंडा तैयो

किनलहुँ हम परचारे देखि कऽ

अहाँ जे कहब से कहू मुदा

बदलल हम संसारे देखि कऽ

गहना केहन बनतै से सभ

बुझलहुँ हम सोनारे देखि कऽ

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि
। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछिसुझाव सादर आमंत्रित अछि

रविवार, 4 मार्च 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-9

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "दो बदन" फिल्म केर ई नज्म जे कि मो. रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि शकील बदायूँनी। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे मनोज कुमार, आशा पारेख आदि कलाकार छलथि।

भरी दुनियाँ में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं
मुहब्बत हो गई जिनको वो दीवाने कहाँ जाएं

लगे हैं शम्मा पर पहरे ज़माने की निगाहों के
जिन्हें जलने की हसरत है वो परवाने कहाँ जाएं

सुनाना भी जिन्हें मुश्किल छुपाना भी जिन्हें मुश्किल
ज़रा तू ही बता ऐ दिल वो अफ़साने कहाँ जाएं

नजर में उलझने, दिल में है आलम बेकरारी का
समझ में कुछ नहीं आता सुकूँ पाने कहाँ जाएँ

एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।


तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों