गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "खिलौना" फिल्म केर ई नज्म जे कि मुहम्मद रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत प्यारे लाल। ई फिल्म 1970 मे रिलीज भेलै। एहिमे संजीव कुमार, मुमताज, जितेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा आदि कलाकार छलथि। ई फिल्म गुलशन नंदाजीक उपन्यासपर आधारित अछि।
तेरी शादी पे दूँ तुझको तोह्फ़ा मैं क्या
पेश करता हूँ दिल एक टूटा हुआ
खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी
बेवफ़ा ही सही दिलरुबा है मेरी
जा मैं तनहा रहूँ तुझको महफ़िल मिले
डूबने दे मुझे तुझको साहिल मिले
आज मरज़ी यही, नाख़ुदा है मेरी
उम्र भर ये मेरे दिल को तड़पाएगा
दर्दे दिल अब मेरे साथ ही जाएगा
मौत ही आख़िरी बस दवा है मेरी
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 212 212 212 212 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। बहुत काल शाइर गजल वा नज्मसँ पहिने माहौल बनेबाक लेल एकटा आन शेर दैत छै ओना ई अनिवार्य नै छै। एहि नज्मसँ पहिने एकटा शेर "तेरी शादी पे दूँ तुझको तोहफ़ा मैं क्या" माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै। समान्यतः दीर्घक बाद बला "ए" केर उच्चारण लघु भ' जाइत छै आ मैथिलीमे सेहो एकर हम स्थितिनुसार लघु मानबाक सिफारिश केने छी।
आइ देखू "खिलौना" फिल्म केर ई नज्म जे कि मुहम्मद रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत प्यारे लाल। ई फिल्म 1970 मे रिलीज भेलै। एहिमे संजीव कुमार, मुमताज, जितेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा आदि कलाकार छलथि। ई फिल्म गुलशन नंदाजीक उपन्यासपर आधारित अछि।
तेरी शादी पे दूँ तुझको तोह्फ़ा मैं क्या
पेश करता हूँ दिल एक टूटा हुआ
खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी
बेवफ़ा ही सही दिलरुबा है मेरी
जा मैं तनहा रहूँ तुझको महफ़िल मिले
डूबने दे मुझे तुझको साहिल मिले
आज मरज़ी यही, नाख़ुदा है मेरी
उम्र भर ये मेरे दिल को तड़पाएगा
दर्दे दिल अब मेरे साथ ही जाएगा
मौत ही आख़िरी बस दवा है मेरी
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 212 212 212 212 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। बहुत काल शाइर गजल वा नज्मसँ पहिने माहौल बनेबाक लेल एकटा आन शेर दैत छै ओना ई अनिवार्य नै छै। एहि नज्मसँ पहिने एकटा शेर "तेरी शादी पे दूँ तुझको तोहफ़ा मैं क्या" माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै। समान्यतः दीर्घक बाद बला "ए" केर उच्चारण लघु भ' जाइत छै आ मैथिलीमे सेहो एकर हम स्थितिनुसार लघु मानबाक सिफारिश केने छी।