गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "मदहोश" फिल्म केर ई नज्म जे कि तलत महमदूजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजा मेंहदी अली खान। संगीतकार छथि मदन मोहन। ई फिल्म 1951 मे रिलीज भेलै। एहिमे मनहर (देसाइ), मीना कुमारी आदि कलाकार छलथि।
मेरी याद में तुम न आँसू बहाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
समझना के था एक सपना सुहाना
वो गुज़रा ज़माना, मुझे भूल जाना
जुदा मेरी मँज़िल, जुदा तेरी राहें
मिलेंगी न अब तेरी-मेरी निगाहें
मुझे तेरी दुनिया से है दूर जाना
ये रो-रो के कहता है टूटा हुआ दिल
नहीं हूँ मैं तेरी मोहब्बत के काबिल
मेरा नाम तक अपने लब पे न लाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई बहर संस्कृतमे सेहो भुजंगप्रयात (मात्राक्रम 122+122+122+122) केर नामसँ छै। उर्दूमे एकरा “बहरे मोतकारिब मोसम्मन सालिम” कहल जाइत छै। एहि बहरपर बहुत नीक रचना अनेक भाषामे रचल गेल छै। प्रसंगवश एहिठाम हम गोस्वामी तुलसीदास जीक ई रचना (रुद्राष्टकम्) द' रहल छी.............
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् |
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेङहम् ||१||
एहि रुद्राष्टकम् केर छंद भुजंगप्रयात अछि। एकरा एना देखू.. नमामी 122 शमीशा 122 न निर्वा 122 णरूपं 122 आन पाँति सभकेँ एनाहिते देखि सकैत छी। हमरा द्वारा लिखल एहि सिरीजमे तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ, तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ, बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी सन नज्म एही बहरपर अछि।
(खाली गीत)
(फिल्मक सहित गीत)
आइ देखू "मदहोश" फिल्म केर ई नज्म जे कि तलत महमदूजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजा मेंहदी अली खान। संगीतकार छथि मदन मोहन। ई फिल्म 1951 मे रिलीज भेलै। एहिमे मनहर (देसाइ), मीना कुमारी आदि कलाकार छलथि।
मेरी याद में तुम न आँसू बहाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
समझना के था एक सपना सुहाना
वो गुज़रा ज़माना, मुझे भूल जाना
जुदा मेरी मँज़िल, जुदा तेरी राहें
मिलेंगी न अब तेरी-मेरी निगाहें
मुझे तेरी दुनिया से है दूर जाना
ये रो-रो के कहता है टूटा हुआ दिल
नहीं हूँ मैं तेरी मोहब्बत के काबिल
मेरा नाम तक अपने लब पे न लाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई बहर संस्कृतमे सेहो भुजंगप्रयात (मात्राक्रम 122+122+122+122) केर नामसँ छै। उर्दूमे एकरा “बहरे मोतकारिब मोसम्मन सालिम” कहल जाइत छै। एहि बहरपर बहुत नीक रचना अनेक भाषामे रचल गेल छै। प्रसंगवश एहिठाम हम गोस्वामी तुलसीदास जीक ई रचना (रुद्राष्टकम्) द' रहल छी.............
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् |
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेङहम् ||१||
एहि रुद्राष्टकम् केर छंद भुजंगप्रयात अछि। एकरा एना देखू.. नमामी 122 शमीशा 122 न निर्वा 122 णरूपं 122 आन पाँति सभकेँ एनाहिते देखि सकैत छी। हमरा द्वारा लिखल एहि सिरीजमे तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ, तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ, बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी सन नज्म एही बहरपर अछि।
(खाली गीत)
(फिल्मक सहित गीत)
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