अस्तित्वमे अस्तित्व समा जेतै एक दिन
अपनाक अपने संग मिला जेतै एक दिन
बिनु शब्द आ संगीत मिलनके बेर प्रकृति
शुन्ना समयमे गीत सुना जेतै एक दिन
नै हम रहब नै देह रहत रहतै बोध टा
दुख दर्द सब जिनगीक परा जेतै एक दिन
मस्तिष्कके सुख दुखसँ उपर लेबै जे उठा
आनन्दमे र्इ मोन डुबा जेतै एक दिन
बहिते हृदयमे जोरसँ कुन्दन नेहक हवा
चैतन्य केर ज्ञात करा जेतै एक दिन
2212-221-1222-212
© कुन्दन कुमार कर्ण
www.kundanghazal.com
अपनाक अपने संग मिला जेतै एक दिन
बिनु शब्द आ संगीत मिलनके बेर प्रकृति
शुन्ना समयमे गीत सुना जेतै एक दिन
नै हम रहब नै देह रहत रहतै बोध टा
दुख दर्द सब जिनगीक परा जेतै एक दिन
मस्तिष्कके सुख दुखसँ उपर लेबै जे उठा
आनन्दमे र्इ मोन डुबा जेतै एक दिन
बहिते हृदयमे जोरसँ कुन्दन नेहक हवा
चैतन्य केर ज्ञात करा जेतै एक दिन
2212-221-1222-212
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