गुरुवार, 17 जून 2021

गजल

तकियाक तूर सन दबाएल छी कतेको बेर
अप्पन अछैत हम बझाएल छी कतेको बेर

बूझैत सभ अकान छी देखि ई समाजक खेल
परतारि बाल सन ठकाएल छी कतेको बेर

जीवन बहुत नचेलकै नाच के करत प्रतिकार
पीलहुँ कहाँ मुदा झखाएल छी कतेको बेर

आयल विपति बनाक' रस्ता सहैत रहलौं खूब
उठबैत बोझ थड़-थड़ाएल छी कतेको बेर

ठोकर सिखा रहल कते डेग डेग पर अभिलाष
दुख केर आँचमे पकाएल छी कतेको बेर

२२१-२१२-१२२-१२१-२२२१ मात्राक्रम अछि सभ पाँतिमे

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों