वचन सूनि बुझलहुँ देवता विशारद
करम देखि बुझलहुँ आपदा विशारद
जते जे सुनेलथि नीक मीठ बोली
कहीं ने कहीं छथि वेदना विशारद
बहुत बेर पुजलक पर्व लाकडाउन
मजा मारि रहलै साम्यता विशारद
कहीं देखि शायद धारणा बनल छै
कुकर्मेसँ जीबै चेतना विशारद
रहल दूर दूरे ज्ञान गुण करीबी
रहल आस पासे सूचना विशारद
सभ पाँतिमे 122-122-212-122 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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