शनिवार, 31 दिसंबर 2022

अपने एना अपने मूँह-47

जनवरी २०२२ मे कुल ४ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे अभिलाष ठाकुरक १ टा भक्ति गजल, आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल एवं १ टा अपने एना अपने मूँहक प्रस्तुति अछि।

फरवरी २०२२ मे कुल २ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल एवं १ टा आलोचना अछि।

मार्च २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक ३ टा गजल अछि।

अप्रैल २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

मइ २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा भक्ति गजल अछि।

जून २०२२ मे एकौटा रचना नहि अछि।

जुलाइ २०२२ मे कुल २ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल अछि।

अगस्त २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल, १ टा आलोचना अछि। जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक १ टा समीक्षा आशीष अनचिन्हार द्वारा प्रस्तुत भेल अछि।

सितम्बर २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

अक्टूबर २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हार १ टा आलोचना अछि।

नवम्बर २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे जगदानंद मनु जी केर १ टा रुबाइ एवं आशीष अनचिन्हार २ टा गजल अछि।

दिसम्बर २०२२ मे कुल ७ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे जगदानंद झा मनु जी केर ४ टा रुबाइ आ २ टा गजल अछि। १ टा अपने एना अपने मूँह अछि।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

रुबाइ

दुनिया जँ नै पुछलक तँ कोनो बात नहि

राखू मोन अहाँ इ तेहनो बात नहि

चिन्है सगर समाज आइ धनीकेकेँ

‘मनु’केँ जँ जाइ बिसरि एहनो बात नहि

                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


रविवार, 25 दिसंबर 2022

रुबाइ

जे जन्म देलन्हि ओ कहलन्हि गदहा 

जे पोसलन्हि ओ  मानलन्हि गदहा

गदहा जँका सगरो जिन्दगी बितेलहुँ

जिनका बियाहलहुँ बुझलन्हि गदहा

                 ✍🏻जगदानन्द झा ‘मनु’

 


बुधवार, 21 दिसंबर 2022

रुबाइ

मुँह पर दरद आबि जेए मरद नै

जे हर बहैत  बसि जेए बरद नै 

जिम्मेदारी घरक गेल विदेशमे 

केनामनु’ बुझलक जेए दरद नै

             ✍🏻जगदानन्द झा ‘मनु’

 



बुधवार, 14 दिसंबर 2022

गजल

जखन सगरो दर्द भेटल 

अपन सीलौं ठोर रेतल 

 

द’बल अपने हाथ गरदनि 

तखन के ई नोर मेटल 

 

घरक बन्हन छोरि दुनिया

सटल जतए नोट गेटल 

 

भरोसा करु आब कोना 

लखन भेषे चोर फेटल 

 

दहेजक ‘मनु’ चारिचक्का  

बियाहक पहिनेसँ सेटल 

(बहरे मजरिअ, मात्राक्रम 1222-2122)

जगदानन्द झा ‘मनु’

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

गजल

जखन मोन कानल गजल कहलौं

रहल कोंढ़ छानल गजल कहलौं 

 

जमाना सुतल छल जखन नींदसँ

तहन राति जानल गजल कहलौं 

 

लगन भेल तीसम बरख धरि नहि

पड़ोसनसँ गानल गजल कहलौं 

 

जुआ छल लदल कांहपर लोकक

पसीनासँ सानल गजल कहलौं 

 

उमर ‘मनु’ बितल आर की करबै 

अपन मोन ठानल गजल कहलौं 

(मात्राक्रम सभ पाँतिमे 122-122-1222)

जगदानन्द झा ‘मनु’

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

रुबाइ

नैन्हेटा हाथमे केहन लकीड़ छै

नै माय बाप केहन तकदीर छै

धो धो कऽ ऐँठ कप लकीड़ो खीएलै

नै सुनलक कियो दुनियाँ बहीर छै

             ✍🏻जगदानन्द झा ‘मनु’

 



तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों