जखन सगरो दर्द भेटल
अपन सीलौं ठोर रेतल
द’बल अपने हाथ गरदनि
तखन के ई नोर मेटल
घरक बन्हन छोरि दुनिया
सटल जतए नोट गेटल
भरोसा करु आब कोना
लखन भेषे चोर फेटल
दहेजक ‘मनु’ चारिचक्का
बियाहक पहिनेसँ सेटल
(बहरे मजरिअ, मात्राक्रम 1222-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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