जखन मोन कानल गजल कहलौं
रहल कोंढ़ छानल गजल कहलौं
जमाना सुतल छल जखन नींदसँ
तहन राति जानल गजल कहलौं
लगन भेल तीसम बरख धरि नहि
पड़ोसनसँ गानल गजल कहलौं
जुआ छल लदल कांहपर लोकक
पसीनासँ सानल गजल कहलौं
उमर ‘मनु’ बितल आर की करबै
अपन मोन ठानल गजल कहलौं
(मात्राक्रम सभ पाँतिमे 122-122-1222)
जगदानन्द झा ‘मनु’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें