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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009
गजल
जनपथ छोड़ि राजपथ जायब से हमरा की नीक लगैए
उखरि मे मूड़ी घोसिआयब से हमरा की नीक लगैए
बक सँ कौआ बनल ठाढ़ छी काजर घर मे
तहि पर चानन ठोप लगायब से हमरा की नीक लगैए
चोरि करब हम मुदा शान सँ चौकीदारक संग रहब
लाज-शरम ताखा पर राखब से हमरा की नीक लगैए
भ्रष्ट दुपहरा केर एहन बहसल बसात मे
लंक-दहन लेल आगि पजारब से हमरा की नीक लगैए
छमा करू अरबिन उचित किन्नहुँ नहि बाजब
सुधिजन आगाँ गाल बजायब से हमरा की नीक लगैए
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गजल,
arvind thakur
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