जहर केर घोंट भरि सजनी जँ पीबी अहाँक हाथें हम
तँ सत्ते जीबि लेब जिनगी, अमर भ’ अहाँक हाथें हम
अहाँक आँचर के तुलनामे ने किछु थिक स्वर्ग केर उपवन
जकर सब सूतमे पाबी प्रबल सुख अहाँक हाथें हम
अहाँक मुस्कानसँ बिहुँसय दहो दिश जीवनक सपना
भरब ओहि अल्पनामे रंग उत्तम अहाँक हाथें हम।
अहाँक स्पर्शमे जादू ध्वनिक आरोहमे लोरी
अगिनकें होइत निर्मल हम देखल अछि अहाँक हाथें हम।
अहाँ जँ निकट रहि कए देब हमरा जीवनक निजता
तँ जीतब युद्ध सभटा हम अहँक संग अहाँक हाथें हम।
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शनिवार, 26 दिसंबर 2009
गजल
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देवशंकर नवीन
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