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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
गजल
बाजू चोरक लेल ताला की
बेइमानक लेल केबाला की
लोक डुबैए भाव-अभाव मे
डुबबाक लेल नदी-नाला की
लोक खुश होइए तेल-मालिश सँ
एहि रोगिक लेल दवाइ-आला की
फूसेक घर पर होइत छैक दैवी प्रकोप
पाथरक मकान लेल ठनका-पाला की
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
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