१.
गजल- आशीष अनचिन्हार
एहि लाइलाज बिमारीक की हाल हेतैक
स्वेच्छाचारी-चारणीक की दलाल हेतैक
हर दिन हर खन सानल दुखः आ दर्द मे
गरीब लेल नव-पुरान की साल हेतैक
रोजगार उड़िआ गेल बालु जकाँ
किएक केओ काज मे बहाल हेतैक
अहुरिआ कटैत लोक शोकाकुल
नोरे पीबि मँगनी मे हलाल हेतैक
धैरज धरु प्रतीक्षा करु अनचिन्हार
मृत्यु सुखद जिनगी जिबक जंजाल हेतैक
२
गजल- सदरे आलम गौहर
जहिआ-जहिआ कौआ बाजे टाटपर
देखै छी हम ओ तँ अबैए बाटपर
ताकै छल पोखरि-झाखरि गेलै कहाँ
आँखि झुका बैसल छथि भाइ तँ घाटपर
निन्नो हेतै केना माए-बापकेँ
बेटी बैसल सदिखन जकरा माथपर
सौंसे घरमे पाबनि मनबैए इ सभ
सदिखन बैसल बूढ़ा खोंखथि खाटपर
झिल्ली-मुरही-कचरी आबो भेटत
आबि तँ देखू अप्पन गामक हाटपर
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