किछु दूर चलब हमहूँ जँ संग दए सकी
रंगि देब हम सभ के जँ रंग दए सकी
अन्हारो मे चलब बिनु ठोकर खएने
चलबाक जँ कनिको ड़ंग दए सकी
कहबै जँ चार पर चड़बै पहाड़ पर
किछुओ ने असंभव जँ उमंग दए सकी
कोने-कोन मे बैसल कतेको राम
मारल जाएत रावण जँ धनुष भंग दए सकी
किछु दूर चलब हमहूँ जँ संग दए सकी
रंगि देब हम सभ के जँ रंग दए सकी
अन्हारो मे चलब बिनु ठोकर खएने
चलबाक जँ कनिको ड़ंग दए सकी
कहबै जँ चार पर चड़बै पहाड़ पर
किछुओ ने असंभव जँ उमंग दए सकी
कोने-कोन मे बैसल कतेको राम
मारल जाएत रावण जँ धनुष भंग दए सकी
Aasheesh jee, badhiyaa achhi.
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