रविवार, 18 अक्टूबर 2015

गजल

आँचर आ खोंइछमे बस मुसकियाइत रहल अनचिन्हार
अँकुरी जकाँ सुख कि दुखमे बँटाइत रहल अनचिन्हार

हम ओइ हाथक सहारे बहुत दिन बिता लेबै आब
जै हाथपर मेंहदी बनि लिखाइत रहल अनचिन्हार

बेकार छै धार पोखरि नदी आ इनारो ऐठाम
ओकर हँसी आ खुशीमे नहाइत रहल अनचिन्हार

संबंध छै मोन संबंध छै देह संबंधे जान
बड दूर तैयो लगेमे बुझाइत रहल अनचिन्हार

छुलकै कियो जानिए बूझि सोचल विचारल मोनसँ
तँइ खुब्बे बड़ देर धरि जुड़ाइत रहल अनचिन्हार

सभ पाँतिमे 2212-2122-122-12-2221 मात्राक्रम अछि

मतला आ मकतामे दू-दू टा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों