रूप मारूक तोहर देखते कनियाँ
ख़ून देहक सगर भेलै हमर पनियाँ
नै कतौ केर विश्वामित्र छी हमहूँ
प्राण लेलक हइर ई तोर चौवनियाँ
जरि क' तोहर पजारल आगिमे दुनियाँ
माय बापक नजरिमे बनल छै बनियाँ
नीक बहुते गजल कहने छलहुँ हमहूँ
आइ सभ किछु बिसरि बेचैत छी धनियाँ
झाँपि राखू अपन रूपक महलकेँ 'मनु'
भेल पागल कतेको देखि यौवनियाँ
(बहरे मुशाकिल, मात्रा क्रम; 2122-1222-1222)
जगदानन्द झा 'मनु'
ख़ून देहक सगर भेलै हमर पनियाँ
नै कतौ केर विश्वामित्र छी हमहूँ
प्राण लेलक हइर ई तोर चौवनियाँ
जरि क' तोहर पजारल आगिमे दुनियाँ
माय बापक नजरिमे बनल छै बनियाँ
नीक बहुते गजल कहने छलहुँ हमहूँ
आइ सभ किछु बिसरि बेचैत छी धनियाँ
झाँपि राखू अपन रूपक महलकेँ 'मनु'
भेल पागल कतेको देखि यौवनियाँ
(बहरे मुशाकिल, मात्रा क्रम; 2122-1222-1222)
जगदानन्द झा 'मनु'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें