मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

गजल

मोन मीलल बहुत बहुत
नेह भेटल बहुत बहुत

दूर गेलै जते जते
नीक लागल बहुत बहुत

साँच बजलहुँ कनी मनी
संग छूटल बहुत बहुत

बात करता जखन जखन
खाद फेंटल बहुत बहुत

साँझ खातिर कहीं कहीं
भोर टूटल बहुत बहुत

आइ हुनकर कथा व्यथा
भाँज लागल बहुत बहुत

आब भेलै महो महो
रूप साजल बहुत बहुत

गाछ देखै टुकुर टुकर
काँच पाकल बहुत बहुत

सभ पाँतिमे 2122 12 12 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

गजल

जिनका चाही पटना दिल्ली
तिनका धेने छनि छिलमिल्ली

नेता सुनिते सभ बुझि गेलै
फल्लाँ बनलै पिल्ला पिल्ली

जनताकेँ मानै छथि खाजा
संविधानकेँ पानक खिल्ली

जखने उठलै जुत्ता  तखने
हुनका ढ़ुकि गेलनि हलदिल्ली

सत्ता के रूप रंग एकै
चाहे जिलेबी हो कि झिल्ली

सभ पाँतिमे 22 22 22 22 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

गजल

ठोरक गिलास ठोरक शराब
के राखत किछु ठोपक हिसाब

अनधन लछमी हुनका हिस्सा
हमरा हिस्सा गालक गुलाब

उनटाबैए ओ चुप्पे चुप
देहक पन्ना मोनक किताब

सुंदर शब्द भेलै बेकार
ओ अपने छथिन अपन जबाब

अनचिन्हारक इयाद अबिते
पूरा दुनियाँ लागै खराब

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि



शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

गजल

बान्हल भाषा बान्हल बोल
अइ नाटकमे अतबे रोल

हुनका कहने दुनियाँ टेढ़
हुनके कहने दुनियाँ गोल

खाली पेटक छै फरमान
भरलाहाकेँ खोलै पोल

चुप्पे आबै चुप्पे जाइ
हिनकर आँगन हुनकर टोल

किछु ने जानै अनचिन्हार
के पहिरैए नवका खोल

सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

गजल

संसार हमरो लेल छै
अपकार  हमरो लेल छै

राजा बहुत रानी बहुत
दरबार हमरो लेल छै

जइमे भुजेतै आन से
कंसार हमरो लेल छै

तोहीं ठकेलह से तँ नै
बटमार हमरो लेल छै

पायल भने नै हो मुदा
झंकार हमरो लेल छै

सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

गजल

भीजल कपड़ा गुदगर देह
बिजली लागै सुंदर देह

गौतम धेलथि इंद्रक भेष
फेरो पाथर हुनकर देह

हुनका ताकी कोने कोन
हमरा लग छै जिनकर देह

बज्जर सपना बज्जर आँखि
बज्जर जीवन बज्जर देह

सरकारक फाइल बहुते पैघ
देखू घटलै किनकर देह

सभ पाँतिमे  22 22 2221 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

गजल

जे लिखतै
से बचतै

जे बचतै
से कहतै

जे कहतै
से सुनतै

जे सुनतै
से बुझतै

जे बुझतै
से मरतै

सभ पाँतिमे 222 मात्राक्रम अछि
एहि गजलकेँ गंभीरतासँ लेबाक जरूरति नै ओहिना बोखारमे लीखि देने छियै तथापि जँ किनको अर्थ बुझाइन तँ ई एहि गजलक सौभाग्य
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों