गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू प्रसिद्ध गीतकार राजेन्द्र कृष्णजीक लिखल आ "खानदान" फिल्म केर ई नज्म जकर बहर 2122 2122 212 अछि। मात्रा निर्धारणमे उर्दू ओ हिंदीक नियम लागल छै।
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ
मुझको बरबादी का कोई ग़म नहीं
ग़म है बरबादी का क्यों चर्चा हुआ
एक छोटा सा था मेरा आशियाँ
आज तिनके से अलग तिनका हुआ
सोचता हूँ अपने घर को देखकर
हो न हो ये है मिरा देखा हुआ
देखने वालों ने देखा है धुआँ
किसने देखा दिल मिरा जलता हुआ
(कल चमन था 2122 आज इक सह 2122 रा हुआ 212
देखते ही 2122 देखते ये 2122 क्या हुआ 2122)
सुनू ई नज्म
आइ देखू प्रसिद्ध गीतकार राजेन्द्र कृष्णजीक लिखल आ "खानदान" फिल्म केर ई नज्म जकर बहर 2122 2122 212 अछि। मात्रा निर्धारणमे उर्दू ओ हिंदीक नियम लागल छै।
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ
मुझको बरबादी का कोई ग़म नहीं
ग़म है बरबादी का क्यों चर्चा हुआ
एक छोटा सा था मेरा आशियाँ
आज तिनके से अलग तिनका हुआ
सोचता हूँ अपने घर को देखकर
हो न हो ये है मिरा देखा हुआ
देखने वालों ने देखा है धुआँ
किसने देखा दिल मिरा जलता हुआ
(कल चमन था 2122 आज इक सह 2122 रा हुआ 212
देखते ही 2122 देखते ये 2122 क्या हुआ 2122)
सुनू ई नज्म
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