कोनो दर्दमे आइ धरि मिठास नै छल
भरिसक मोनमे प्रेमिकाक बास नै छल
मिलिते नैन तोरासँ ठोर बाजि उठलै
अनचिन्हारके टोकितों सहास नै छल
सुन्नरताक संसारमे कमी कहाँ छै
आरो लेल केने हिया उपास नै छल
भरिसक मोनमे प्रेमिकाक बास नै छल
मिलिते नैन तोरासँ ठोर बाजि उठलै
अनचिन्हारके टोकितों सहास नै छल
सुन्नरताक संसारमे कमी कहाँ छै
आरो लेल केने हिया उपास नै छल
नेहक लेल भेलौं बताह नै तँ कहियो
जिनगी एहि ढंगक रहल उदास नै छल
प्रियतम बिनु जुआनी कटति रहै अनेरो
लागल जोरगर चाहके पिआस नै छल
यौवन देखलौं सृष्टिमे अनेक कुन्दन
एहन पैघ भेटल कतौं सुवास नै छल
2221-2212-121-22
© कुन्दन कुमार कर्ण
www.kundanghazal.com
जिनगी एहि ढंगक रहल उदास नै छल
प्रियतम बिनु जुआनी कटति रहै अनेरो
लागल जोरगर चाहके पिआस नै छल
यौवन देखलौं सृष्टिमे अनेक कुन्दन
एहन पैघ भेटल कतौं सुवास नै छल
2221-2212-121-22
© कुन्दन कुमार कर्ण
www.kundanghazal.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें