गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
"सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है"
"सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है"
आइ शैलेंद्रजी द्वारा लिखल
आ फिल्म "तीसरी
कसम"मे राज
कपूरजीक उपर फिल्माएल
ई नज्म देखू।
ई नज्म निर्गुण
अछि। एहि नज्मक
बहर 1222 1222 1222 1222 अछि। एहि
नज्ममे महल शब्दक
बहर उर्दू शब्द
"शहर" केर हिसाबसँ
अछि। शैलेंद्रजी फिल्मी
गीतक अतिरिक्त अपन
मार्क्सवादी गीत लेल
सेहो प्रसिद्ध छथि
आ हुनक मार्क्सवादी
गीत आधुनिक गीत
सेहो अछि आ
बहरमे सेहो। तँ
देखू शैलेंद्रजीक ई
नज्म आ ओकर
बहर। मैथिलीक जे
गजलकार ई सोचै
छथि जे बहरसँ
गेयता खत्म भ'
जाइत छै तिनका
लेल ई विशेष
रूपसँ अछि।
सजन रे झूठ
मत बोलो, खुदा
के पास जाना
है
न हाथी है
ना घोड़ा है,
वहाँ पैदल ही
जाना है
तुम्हारे महल चौबारे,
यहीं रह जाएंगे
सारे
अकड़ किस बात
की प्यारे ये
सर फिर भी
झुकाना है
भला कीजै भला
होगा, बुरा कीजै
बुरा होगा
बही लिख लिख
के क्या होगा,
यहीं सब कुछ
चुकाना है
लड़कपन खेल में
खोया, जवानी नींद
भर सोया
बुढ़ापा देख कर
रोया, वही किस्सा
पुराना है
(सजन रे झू
1222 ठ मत बोलो,
1222 खुदा के पा
1222 स जाना है
1222
न हाथी है
1222 ना घोड़ा है,
1222 वहाँ पैदल 1222 ही जाना
है 1222)
सुनू ई नज्म
सुनू ई नज्म
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें