जनवरी 2018मे अनचिन्हार आखरपर कुल १३ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि
कुंदन कुमार कर्णजीक २ टा पोस्टमे २ टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक ११ टा पोस्टमे पाँच टा हिंदी "फिल्मी गीतमे बहर ओ व्याकरण" संबंधी विवेचन, १टा अपने एना अपने मूँह, २ टा आलोचना, १ टा बाल गजल आ २ टा गजल अछि।
फरवरी २०१८मे अनचिन्हार आखरपर ८ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि---
कुंदन कुमार कर्णजीक २ टा पोस्टमे २ टा बाल गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक ६ टा पोस्टमे ३ टा गजल आ ३ टा "हिंदी फिल्मी गीतमे बहर" नामक पोस्ट अछि।
मार्च २०१८मे अनचिन्हार आखरपर ९ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि---
कुंदन कुमार कर्णजीक १ टा पोस्टमे १ टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक ८ टा पोस्टमे ३ टा गजल आ ५ टा "हिंदी फिल्मी गीतमे बहर" नामक पोस्ट अछि।
अप्रैल २०१८मे अनचिन्हार आखरपर ७ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि---
कुंदन कुमार कर्णजीक २ टा पोस्टमे २ टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक ५ टा पोस्टमे ३ टा गजल, १ टा आलोचना आ १ टा "हिंदी फिल्मी गीतमे बहर" नामक पोस्ट अछि।
(वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो)
मोमिनजीक एहि गजलक रदीफ "तुम्हें याद हो कि न याद हो " केर प्रयोग गोस्वामी बिंदुजी महराज (जन्म 1893) अपन भजनमे केलथि। ई भजन एना अछि.......
अधमों को नाथ उबारना तुम्हें याद हो कि न याद हो।
मद खल जनों का उतारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
प्रह्लाद जब मरने लगा, खंजर पै सिर धरने लगा।
उस दिन का खंम्भ बिदारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
धृतराष्ट्र के दरबार में दुखी द्रौपदी की पुकार में।
साड़ी के थान संवारना तुम्हें याद हो कि न याद हो।
सुरराज ने जो किया प्रलय, ब्रजधाम बसने के समय।
गिरवर नखों पर धारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
हम ‘बिन्दु’ जिनके निराश हो, केवल तुम्हारी आस हो।
उनकी दशाएँ सुधारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "शक्ति" फिल्म केर ई नज्म जे कि लता मंगेशकरजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि आर.डी.बर्मन। ई फिल्म Sept 22, 1982 मे रिलीज भेलै। एहिमे अमिताभ बच्चन, स्मिता पाटिल, दिलीप कुमार, राखी आदि कलाकार छलथि।
हमें बस ये पता है वो बहुत ही खूबसूरत है
लिफ़ाफ़े के लिये लेकिन पते की भी ज़रूरत है
हम ने सनम को ख़त लिखा, ख़त में लिखा
ऐ दिलरुबा, दिल की गली शहरे वफा
(एहि स्थायीक मात्राक्रम अछि 2212 2212 2212)
पीपल का ये पत्ता नहीं, काग़ज़ का ये टुकड़ा नहीं
इस दिल के ये अरमान हैं, इस में हमारी जान है
ऐसा ग़ज़ब हो जाये ना रस्ते में ये खो जाये ना
हम ने बड़ी ताक़ीद की, डाला इसे जब डाक में
ये डाक बाबू से कहा हम ने सनम को खत लिखा
बरसों जबाबे यार का, देखा किये हम रास्ता
एक दिन वो ख़त वापस मिला और डाकिये ने ये कहा
इस डाकखाने में नहीं, सारे ज़माने में नहीं
कोई सनम इस नाम का कोई गली इस नाम की
कोई शहर इस नाम का हम ने सनम को खत लिखा
(उपरक दूनू अंतराक मात्राक्रम 2212 2212 2212 2212 अछि) एहि नज्मक ई विशेषता जे एहिमे "शहर" शब्दक गिनती हिंदी जकाँ कएल गेल छै अन्यथा उर्दूमे शहर केर मात्रा दीर्घ लघु होइत छै। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत एहिठाम सुनि सकैत छी.........
इंशाजीक एहि गजलक रदीफ "हो तो ऐसा हो" केर प्रयोग स्वामी ब्रह्मानंद (जन्म 14 July 1944) अपन भजनमे केलथि। ई भजन एना अछि.......
राम दशरथ के घर के जन्मे घराना हो तो ऐसा हो
लोग दर्शन को चले आये सुहाना हो तो ऐसा हो
बहुत गायक सुहाना केर बदला "लुभाना" केर प्रयोग केने छथि। ई स्वाभाविक छै जे लोककंठमे बसल गीतक शब्द कालखंडमे बदलि जाइत छै आ असल स्रोत धरि पहुँचबामे बहुत कष्ट होइत छै। ई गीत एहिठाम सुनू.......
(राम दशरथ के घर के जन्मे घराना हो तो ऐसा हो)
बहुत ठाम ब्रह्मेनंदजीक नामसँ एहनो गीत चलैए.....
कृष्ण घर नंद के घर जन्मे दुलारा हो तो ऐसा हो
लोग दर्शन को चले आये सुहाना हो तो ऐसा हो
बहुत ठाम एहनो सुनबा लेल भेटल..........
सदा शिव शंभु वरदाता दिगंबर हो तो ऐसा हो
हर सब दुख भक्तन के दयाकर हो तो ऐसा हो
ई गीत निच्चा सूनि सकैत छी.......
(सदा शिव शंभु वरदाता दिगंबर हो तो ऐसा हो)
एहि रदीफसँ युक्त आर भर्सन सभ सुनबा लेल भेटि सकैए आ ई इब्नेजीक गजलक प्रभाव अछि। स्पष्ट अछि इंशाजीक गजल भजनपर बहुत बेसी प्रभाव छोड़लक।