शुक्रवार, 18 मई 2018

गजल

ओकर संग ई जिनगीक असान बना देलक
सुख दुखमे हृदयके एक समान बना देलक

बुढ़हा गेल छल यौ बुद्धि विचार निराशामे
ज्ञानक रस पिआ ओ फेर जुआन बना देलक

अध्यात्मिक जगतके बोध कराक सरलतासँ
हमरा सन अभागल केर महान बना देलक

चाहक ओझरीमे मोन हजार दिशा भटकल
अध्ययनेसँ तृष्णा मुक्त परान बना देलक

अष्टावक्र गीता लेल विशेष गजल कुन्दन
कहितेमे हमर मजगूत इमान बना देलक

2221-2221-121-1222

(तेसर शेरक पहिल मिसराक अन्तिम
लघुके दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि)

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों