गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "शक्ति" फिल्म केर ई नज्म जे कि लता मंगेशकरजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि आर.डी.बर्मन। ई फिल्म Sept 22, 1982 मे रिलीज भेलै। एहिमे अमिताभ बच्चन, स्मिता पाटिल, दिलीप कुमार, राखी आदि कलाकार छलथि।
हमें बस ये पता है वो बहुत ही खूबसूरत है
लिफ़ाफ़े के लिये लेकिन पते की भी ज़रूरत है
( एहि दू पाँतिक मात्राक्रम अछि 1222 1222 1222 1222)
हम ने सनम को ख़त लिखा, ख़त में लिखा
ऐ दिलरुबा, दिल की गली शहरे वफा
(एहि स्थायीक मात्राक्रम अछि 2212 2212 2212)
पीपल का ये पत्ता नहीं, काग़ज़ का ये टुकड़ा नहीं
इस दिल के ये अरमान हैं, इस में हमारी जान है
ऐसा ग़ज़ब हो जाये ना रस्ते में ये खो जाये ना
हम ने बड़ी ताक़ीद की, डाला इसे जब डाक में
ये डाक बाबू से कहा हम ने सनम को खत लिखा
बरसों जबाबे यार का, देखा किये हम रास्ता
एक दिन वो ख़त वापस मिला और डाकिये ने ये कहा
इस डाकखाने में नहीं, सारे ज़माने में नहीं
कोई सनम इस नाम का कोई गली इस नाम की
कोई शहर इस नाम का हम ने सनम को खत लिखा
(उपरक दूनू अंतराक मात्राक्रम 2212 2212 2212 2212 अछि) एहि नज्मक ई विशेषता जे एहिमे "शहर" शब्दक गिनती हिंदी जकाँ कएल गेल छै अन्यथा उर्दूमे शहर केर मात्रा दीर्घ लघु होइत छै। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत एहिठाम सुनि सकैत छी.........
आइ देखू "शक्ति" फिल्म केर ई नज्म जे कि लता मंगेशकरजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि आनंद बख्शी। संगीतकार छथि आर.डी.बर्मन। ई फिल्म Sept 22, 1982 मे रिलीज भेलै। एहिमे अमिताभ बच्चन, स्मिता पाटिल, दिलीप कुमार, राखी आदि कलाकार छलथि।
लिफ़ाफ़े के लिये लेकिन पते की भी ज़रूरत है
( एहि दू पाँतिक मात्राक्रम अछि 1222 1222 1222 1222)
हम ने सनम को ख़त लिखा, ख़त में लिखा
ऐ दिलरुबा, दिल की गली शहरे वफा
(एहि स्थायीक मात्राक्रम अछि 2212 2212 2212)
पीपल का ये पत्ता नहीं, काग़ज़ का ये टुकड़ा नहीं
इस दिल के ये अरमान हैं, इस में हमारी जान है
ऐसा ग़ज़ब हो जाये ना रस्ते में ये खो जाये ना
हम ने बड़ी ताक़ीद की, डाला इसे जब डाक में
ये डाक बाबू से कहा हम ने सनम को खत लिखा
बरसों जबाबे यार का, देखा किये हम रास्ता
एक दिन वो ख़त वापस मिला और डाकिये ने ये कहा
इस डाकखाने में नहीं, सारे ज़माने में नहीं
कोई सनम इस नाम का कोई गली इस नाम की
कोई शहर इस नाम का हम ने सनम को खत लिखा
(उपरक दूनू अंतराक मात्राक्रम 2212 2212 2212 2212 अछि) एहि नज्मक ई विशेषता जे एहिमे "शहर" शब्दक गिनती हिंदी जकाँ कएल गेल छै अन्यथा उर्दूमे शहर केर मात्रा दीर्घ लघु होइत छै। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत एहिठाम सुनि सकैत छी.........
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