सोमवार, 21 दिसंबर 2020

गजल

जमीन खा गेलै अकास खा गेलै
जहर मिला सभहक मिठास खा गेलै

कनी मनी रहितै तँ मानितहुँ नीके
बहुत निचलकाकेँ उँचास खा गेलै

जहाँ तहाँ काँटे जहाँ तहाँ महके
अहीं कहू के सभ सुवास खा गेलै

कहाँ कियो कहलक कहाँ कियो बुझलक
विकास देलक आ हुलास खा गेलै

अवास खा गेलै गरीब गुरबा के
अचल सचल राजित निवास खा गेलै

सभ पाँतिमे 12-1222-12-1222 मात्राक्रम छै। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। निच्चाक शेर हमर अवचेतन मोनमे छल मुदा आभास होइए जे कोनो टीभी शो केर प्रभाव छै एहि शेरपर। कंफर्म भेनाइ बाँकी अछि।


बनल रही मिरचाइ हम बहुत कड़ुगर
मिला कऽ मुरहीमे झकास खा गेल

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों