शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

गजल


सरस रस धार छै जमुना अहीं बुझने रही माधव
नवल नव कुंज वृन्दावन अहीं रचने रही माधव

छलै जे ठूँठ बाँसक देह तकरो प्राण देलहुँ आ
बना बसुरी मधुर रागो अहीं फुकने रही माधव

रहै जे पूतना नामी किसुन वध कामनाधारी
तकर संगे असुर नागो अहीं नथने रही माधव

अधर्मी कंस बड़ भारी तकर सभ पापकेँ मेटल
अपन धर्मक उचित मानो अहीं रखने रही माधव

फँसल छी मोहमायामे मुदा विश्वास रखने छी
कटत भवपाश बंधन से अहीं गछने रही माधव

सभ पाँतिमे 1222-1222-1222-1222 मात्राक्रम अछि। ई बहरे हजज मोसम्मन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों