गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी। एक बेर फेर बहरक कमाल देखू फिल्मी गीतमे देखू। अजुका रचना अछि "ये मुलाकात एक बहाना है"। एहि रचनाक हरेक पाँतिमे 212-212-1222 मात्राक्रम अछि। ई रचना वस्तुतः गजल छै। ई फिल्म "खानदान" मे गाएल गेल रहै। गीतकार छथि नक्श ल्यालपुरी। संगीतकार छथि खैय्याम। गायिका लता मंगेशकर। ई फिल्म 1979 मे आएल रहै जाहिमे जीतेन्द्र, सुलक्षणा पंडित, बिंदिया आदि कलाकार छलथि। एहि ठाम ईहो कहब आवश्यक जे 1965 मे सेहो खानदान नामक फिल्म आएल छल जाहिमे सुनील दत्त एवं नूतन आदि कलाकार छलथि।
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
रविवार, 18 जुलाई 2021
हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-35
ये मुलाकात एक बहाना है
प्यार का सिलसिला पुराना है
धड़कनें धड़कनों में खो जाएँ
दिल को दिल के करीब लाना है
मैं हूँ अपने सनम की बाहों में
मेरे कदमों तले ज़माना है
ख़्वाब तो काँच से भी नाज़ुक हैं
टूटने से इन्हें बचाना है
मन मेरा प्यार का शिवाला है
आपको देवता बनाना है
(212-212-1222) ई गजल निच्चा सुनि सकैत छी--
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें