गजल
समय पुरनो घाव जगा दैत छै बेर बेर
अपन छै वा आन बता दैत छै बेर बेर
हजारो बेरक दुखके जे रखै नै हिसाब
चुरुक भरि उपकार गना दैत छै बेर बेर
प्रयासे छै जीवनमे लक्ष्यकेँ प्राप्ति द्वार
समस्या ओ जड़ि सँ हटा दैत छै बेर बेर
शराबी छै से कहि बदनाम छै कैक ठाम
गरीबी जमि केर टगा दैत छै बेर बेर
कते आ ककरा रहलै धन कहू ने जमैल
पढू ने इतिहास बता दैत छै बेर बेर
✍️ अभिलाष ठाकुर
मात्राक्रम अछि 1222-2112-212-2121
सभ पाँतिमे! सुझाव आमंत्रित अछि 💐
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