कोबरमे दुल्हा कुर्सीपर नेता सोभै हो
के जानै जे बाहर बैसलपर की बीतै हो
जत्ते मूर्खक संगत ततबे से बड़का लेखक
जीवन भरि चारण बनि सुगरक गोबर लीखै हो
पहिने बेचल संपति तकरा बादे मोनोकेँ
इम्हर देखू चुप्पे पूरा देशो बेचै हो
जकरा हिस्सा रहितै बर्फी छेना रसगुल्ला
से सभ रस्तापर बैसल ऐंठे टा चीखै हो
जनता पापी चुप्पे रहलै बस चुप्पे रहलै
डकुआ नेता ठकुआ नेता बहुते बाजै हो
सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। भास पारंपरिक अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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