गुरुवार, 8 जुलाई 2021

गजल

कोबरमे दुल्हा कुर्सीपर नेता सोभै हो
के जानै जे बाहर बैसलपर की बीतै हो

जत्ते मूर्खक संगत ततबे से बड़का लेखक
जीवन भरि चारण बनि सुगरक गोबर लीखै हो

पहिने बेचल संपति तकरा बादे मोनोकेँ
इम्हर देखू चुप्पे पूरा देशो बेचै हो

जकरा हिस्सा रहितै बर्फी छेना रसगुल्ला
से सभ रस्तापर बैसल ऐंठे टा चीखै हो

जनता पापी चुप्पे रहलै बस चुप्पे रहलै
डकुआ नेता ठकुआ नेता बहुते बाजै हो

सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। भास पारंपरिक अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों