गजल- कालीकांत झा "बूच"
अहॅक लेल रंजन, हमर भेल गंजन
केहेन खेल ई, रक्त सॅ हस्त मंजन
तरल नेह पर मात्र दुःखक सियाही,
जड़ल देह हम्मर अहॅक आॅखि अंजन
रचल गेल छल जे, सुखक लोक सुन्दर
चलल अछि प्रलय लऽ तकर सुधिप्रभंजन
मृतक हम, अहाॅ छी सुधा स्वर्ग लोकक
अहॅक लेल यौवन हमर गेल जीवन
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शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010
गजल
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
neek prastuti. dhanyawad blog par aane ke liye.
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