गजल- कालीकांत झा "बूच"
श्याम होइछ परक प्रेम अधलाह हे,
तेॅ बिसरि जाह हमरा बिसरि जाह हे ।
दीप बुझि रूप केॅ जुनि हृदय मे धरह,मोहवाती जरा तेल नेहक भरह ।
कऽ देतऽ जिन्दगी केॅ ई सुड्डाह हे,तेॅ बिसरि जाह हमरा विसरि जाह हे ।
हऽम मधुबन मे साॅझक पहिल तारिका,तोॅ फराके बनावह अपन द्वारिका ।
उठि रहल अछि अनेरेक अफवाह हे,
हम विमल राश केर खास संयोजिका,छी प्रवल गोप केर प्रेयसी गोपिका,
घाट सॅ खुलि चुकल अछि हमर नाह हे,
मोन मे उत्तरी सागरक जल भरह,लाख चुचुकारी बर्फक महल मे धरह,
हम तहू ठाम बरबानलक धाह हे,
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रविवार, 3 अक्तूबर 2010
गजल
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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