गजल – १२
जिनगी एक वरदान छी
दैवक देलहा दान छी
राखू सोच मोनक सही
जिनगी पैघ सम्मान छी
कर्मक बाटपर नित चलू
कर्में पूर्ण पहचान छी
बुझि संघर्ष जियबै जखन
जिनगी शान अभिमान छी
कुन्दन बुझि चलल बात ई
जिनगी दू दिनक चान छी
2221+2212
बहरे – मुक्तजिब
© कुन्दन कुमार कर्ण
www.facebook.com/kundan.karna
जिनगी एक वरदान छी
दैवक देलहा दान छी
राखू सोच मोनक सही
जिनगी पैघ सम्मान छी
कर्मक बाटपर नित चलू
कर्में पूर्ण पहचान छी
बुझि संघर्ष जियबै जखन
जिनगी शान अभिमान छी
कुन्दन बुझि चलल बात ई
जिनगी दू दिनक चान छी
2221+2212
बहरे – मुक्तजिब
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