कोना अहाँकेँ घुरि कहब आबै
लेल
बड़ दूर गेलहुँ टाका कमाबै
लेल
नै रीत कनिको प्रीतक बुझल
पहिनेसँ
टूटल करेजा अछि किछु सुनाबै
लेल
लागल कपारक ठोकर जखन देखलहुँ
नै आँखिमे नोरक बुन नुकाबै
लेल
बुझलहुँ अहाँ बैसल मोनमे छी
हमर
ई दूर गेलहुँ हमरा कनाबै
लेल
कोना कऽ ‘मनु’ कहतै आब
अप्पन दोख
घुरि आउ फेरसँ दुनियाँ बसाबै
लेल
जगदानन्द झा 'मनु'
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