मंगलवार, 23 सितंबर 2014

गजल

बीतल दिन जखन मोन पडै छै
आँखिसँ बस तखन नोर झरै छै

छोडब नै कहै संग अहाँकेँ
लग नै आउ से आब कहै छै

ओकर देलहा चोटसँ छाती
एखन धरि हमर दर्द करै छै

जिनगीमे लगा गेल पसाही
धधरामे हिया कानि जरै छै

के बूझत दुखक बात हियाकेँ
कुन्दन आब कोना कँ रहै छै

मात्राक्रम : 222-1221-122

© कुन्दन कुमार कर्ण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों