रविवार, 28 सितंबर 2014

गजल


एम्हर नोरक टघार आँगनमे
ओम्हर सुखके पथार आँगनमे

ई तोहर ई हमर रहत बुझि ले
भेलै एहन विचार आँगनमे

की लेबै आ कतेक लेबै दाइ
देखू पसरल बजार आँगनमे

नगदी भेलै जखन कने बेसी
दौगल एलै उधार आँगनमे

सगरो दुनियाँसँ बचि कऽ एलहुँ हम
लागल कसगर लथार आँगनमे

सभ पाँतिमे 22+2212+1222 मात्राक्रम अछि

सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों