दुख अपने लग राखै छी
सुख सभमे हम बाँटै छी
सभकेँ बुझि अप्पन सदिखन
हँसि-हँसि जिनगी काटै छी
पापसँ रहि अलगे बलगे
धर्मक गीतल गाबै छी
मैथिल छी सज्जन छी हम
मिठगर बोली बाजै छी
कुन्दन सन गुण अछि हमरा
मिथिलाकेँ चमकाबै छी
मात्राक्रम : 2222-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
सभकेँ बुझि अप्पन सदिखन
हँसि-हँसि जिनगी काटै छी
पापसँ रहि अलगे बलगे
धर्मक गीतल गाबै छी
मैथिल छी सज्जन छी हम
मिठगर बोली बाजै छी
कुन्दन सन गुण अछि हमरा
मिथिलाकेँ चमकाबै छी
मात्राक्रम : 2222-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
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