सोमवार, 29 सितंबर 2014

गजल

दुख अपने लग राखै छी
सुख सभमे हम बाँटै छी

सभकेँ बुझि अप्पन सदिखन
हँसि-हँसि जिनगी काटै छी

पापसँ रहि अलगे बलगे
धर्मक गीतल गाबै छी

मैथिल छी सज्जन छी हम
मिठगर बोली बाजै छी

कुन्दन सन गुण अछि हमरा
मिथिलाकेँ चमकाबै छी

मात्राक्रम : 2222-222

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों