गुरुवार, 11 सितंबर 2014

गजल

बाल गजल


पढबै लिखबै चलबै नीक बाटसँ
आगू बढबै अपने ठोस आंटसँ

संस्कृति अप्पन कहियो छोडब नै
अलगे रहबै कूसंगत कऽ लाटसँ

फुलिते रहबै सदिखन फूल बनि नित
डेरेबै नै कोनो चोख कांटसँ

हिम्मत जिनगीमे हेतैक नै कम
चलबै आगू बाधा केर टाटसँ

बच्चा बुझि मानू कमजोर नै यौ
चमकेबै मिथिलाकेँ नाम ठाटसँ

मात्राक्रम: 2222-2221-22

© कुन्दन कुमार कर्ण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों