बाल गजल
पढबै लिखबै चलबै नीक बाटसँ
आगू बढबै अपने ठोस आंटसँ
संस्कृति अप्पन कहियो छोडब नै
अलगे रहबै कूसंगत कऽ लाटसँ
फुलिते रहबै सदिखन फूल बनि नित
डेरेबै नै कोनो चोख कांटसँ
हिम्मत जिनगीमे हेतैक नै कम
चलबै आगू बाधा केर टाटसँ
बच्चा बुझि मानू कमजोर नै यौ
चमकेबै मिथिलाकेँ नाम ठाटसँ
मात्राक्रम: 2222-2221-22
© कुन्दन कुमार कर्ण
पढबै लिखबै चलबै नीक बाटसँ
आगू बढबै अपने ठोस आंटसँ
संस्कृति अप्पन कहियो छोडब नै
अलगे रहबै कूसंगत कऽ लाटसँ
फुलिते रहबै सदिखन फूल बनि नित
डेरेबै नै कोनो चोख कांटसँ
हिम्मत जिनगीमे हेतैक नै कम
चलबै आगू बाधा केर टाटसँ
बच्चा बुझि मानू कमजोर नै यौ
चमकेबै मिथिलाकेँ नाम ठाटसँ
मात्राक्रम: 2222-2221-22
© कुन्दन कुमार कर्ण
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