गजल-2.50
हम रही अहाँ रही आर किछु नव बात हो
हम कही अहाँ सुनी आर किछु नब बात हो
जे कहब कहू मुदा तौल लिअ निज बोलकेँ
जे कहब, कहब सही आर किछु नव बात हो
भेद-भाव आइ तजि ठाढ़ एकहिँ मंचपर
प्रीतकेँ बहै नदी आर किछु नव बात हो
सफ हो सभक हिया साफ हो छवि लोककेँ
फड़य गाछ जनु कली आर किछु नव बात हो
बात बातपर हँसय सब हँसय धरती सगर
हो दरद सगर कमी आर किछु नव बात हो
2121-21-2212-2212
हम रही अहाँ रही आर किछु नव बात हो
हम कही अहाँ सुनी आर किछु नब बात हो
जे कहब कहू मुदा तौल लिअ निज बोलकेँ
जे कहब, कहब सही आर किछु नव बात हो
भेद-भाव आइ तजि ठाढ़ एकहिँ मंचपर
प्रीतकेँ बहै नदी आर किछु नव बात हो
सफ हो सभक हिया साफ हो छवि लोककेँ
फड़य गाछ जनु कली आर किछु नव बात हो
बात बातपर हँसय सब हँसय धरती सगर
हो दरद सगर कमी आर किछु नव बात हो
2121-21-2212-2212
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