शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

गजल

पहिल बेर दू गजला कहबाक प्रयास केलहुँ अछि। देखल जाए--



कुरता सौंसे पसरल छै
झगड़ा सौंसे पसरल छै

गाछक पातक आ फूलक
चरचा सौंसे पसरल छै

जीबछ कोशी बागमती
कमला सौंसे पसरल छै

मंदिर मस्जिद गिरजा हो
भगता सौंसे पसरल छै

दिल्ली भेटत बाटेपर
पटना सौंसे पसरल छै

खादी भागल काते कात
चरखा सौंसे पसरल छै

बेंगक टर टर सुनि सुनि कऽ
बरखा सौंसे पसरल छै

पानिसँ बेसी मटिया तेल
धधरा सौंसे पसरल छै

मंझा चाहै गुड्डी तँइ
धागा सौंसे पसरल छै

ताड़ी लबनी पासी भाइ
चिखना सौंसे पसरल छै

सीता जनमै एकै गो
रामा सौंसे पसरल छै

पाचक भागै दूरे दूर
कर्ता सौंसे पसरल छै

चोरी लूट डकैतीके
खतरा सौंसे पसरल छै

छिटलहुँ खाद मुदा तैयो
खखरा सौंसे पसरल छै

लोटा थारी बाटी चुप्प
तसला सौंसे पसरल छै

सूदिक सुख मूरे जानै
कर्जा सौंसे पसरल छै

अनचिन्हारक संगे संग
फकड़ा सौंसे पसरल छै


जकरा मारल मरलहुँ से
पुछलक तोरा मारल के

मूनल रहतौ आँखि हमर
तइ के बदला हमरो दे

देलक चिन्हासी प्रेमक
कहबे करबे खिस्सा गे

श्वासक आसक विश्वासक
टूटल अत्मा तोंहू ले

बाड़ी झाड़ी छोड़ल हम
उर्सी कुर्सी भेटल जे


सभ पाँतिमे 222+222+2 मात्राक्रम अछि
दूटा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल छै। किछु शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु सेहो छूटक तौरपर अछि। किछु शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघुकेँ संस्कृत व्याकरणानुसार दीर्घ मानल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों