गालपर तिलबा कते शान
मारैए
निकलु नै बाहर सभक
जान मारैए
जतअ देखलौं अहीँपर
नजरि सबहक
सभ तरे तर नजरिकेँ
वाण मारैए
तिर्थमे पंडित तँ
मुल्ला मदीनामे
सभ अहीँकेँ राति दिन
तान मारैए
अछि अहीँकेँ मोहमे
बूढ़ नव डूबल
देखिते मुँह फारि
मुस्कान मारैए
काज कोनो नै बनेए जँ
जीवनमे
'मनु' अहीँ लग फूल आ पान
मारैए
(बहरे कलीब, मात्रा क्रम :
२१२२-२१२२-१२२२)
© जगदानन्द झा 'मनु'
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