सपना हमर हम वीर बनी
करतब करी आ धीर बनी
जे देशकेँ अपमान करै
ओकर करेजक तीर बनी
सबहक सिनेहक मीत रही
ककरो मनक नै पीर बनी
आबी समाजक काज सदति
धरतीक नै हम भीर बनी
किछु काज ‘मनु’ एहन तँ करी
मरियो कऽ आँखिक नीर बनी
(मत्रा क्रम : २२१२-२२१-१२)
© जगदानन्द झा 'मनु'
जे देशकेँ अपमान करै
ओकर करेजक तीर बनी
सबहक सिनेहक मीत रही
ककरो मनक नै पीर बनी
आबी समाजक काज सदति
धरतीक नै हम भीर बनी
किछु काज ‘मनु’ एहन तँ करी
मरियो कऽ आँखिक नीर बनी
(मत्रा क्रम : २२१२-२२१-१२)
© जगदानन्द झा 'मनु'
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