दुख केर मारल छी ककरा कहू
केहन अभागल छी ककरा कहू
हम आन आ अप्पनकेँ बीचमे
सगरो उजारल छी ककरा कहू
नै जीत सकलहुँ आगू नियतिकेँ
जिनगीसँ हारल छी ककरा कहू
बनि पैघ किछु नव करऽकेँ चाहमे
दुनियाँसँ बारल छी ककरा कहू
कुन्दन पुछू संघर्षक बात नै
दिन राति जागल छी ककरा कहू
मात्राक्रम : 221-222-2212
© कुन्दन कुमार कर्ण
केहन अभागल छी ककरा कहू
हम आन आ अप्पनकेँ बीचमे
सगरो उजारल छी ककरा कहू
नै जीत सकलहुँ आगू नियतिकेँ
जिनगीसँ हारल छी ककरा कहू
बनि पैघ किछु नव करऽकेँ चाहमे
दुनियाँसँ बारल छी ककरा कहू
कुन्दन पुछू संघर्षक बात नै
दिन राति जागल छी ककरा कहू
मात्राक्रम : 221-222-2212
© कुन्दन कुमार कर्ण
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