गुरुवार, 27 अगस्त 2015

गजल

कली त खिलल मुदा फुला नै सकल
हृदयसँ गुलाब बनि लगा नै सकल

वसंत बहार सन पहर छल मुदा
सिनेहसँ बाग ओ सजा नै सकल

कथीक कमी छलै हमर नेहमे
खुशीसँ किएक ओ बता नै सकल

बताह बनाक छोडि हमरा चलल
पियास हियाक ओ बुझा नै सकल

नसीब हमर खराब कुन्दन छलै
हिया त मिलल अपन बना नै सकल

मात्राक्रम : 12112-1212-212

© कुन्दन कुमार कर्ण

http://kundanghazal.blogspot.com

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों